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डगर डगर आज गोकुला नगरिया, बधैया बाजे ।

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जन्माद्यस्य यतोऽन्वयादितश्चार्थेष्वभिज्ञः स्वराट् - अन्वय और व्याख्या । श्रीमद्भागवत मंगलाचरण ।

  जन्माद्यस्य यतोऽन्वयादितरतश्चार्थेष्वभिज्ञः स्वराट् तेने ब्रह्म हृदा य आदिकवये मुह्यन्ते यत्सूरयः । तेजोवारिमृदां यथा विनिमयो यत्र त्रिसर्गोऽमृषा धाम्ना स्वेन सदा निरस्तकुहकं सत्यं परं धीमहि ।। (1/1/1) श्रीमद्भागवत महापुराण का मंगलाचरण का प्रथम श्लोक अद्भुत रहस्यों से युक्त है । आइए इस पर विचार करें - य ब्रह्म - वह जो ब्रह्म है, जन्माद्यस्य यतः - जिससे इस जगत की सृष्टि, स्थिति और प्रलय होते हैं, और जो इतरतः - अन्य स्थान (नित्य विभूति वैकुण्ठ) से, अन्वयात् – पीछे से (गुप्त रूप से या परोक्ष रूप से अन्तर्यामी भाव से), अर्थेषु – सासांरिक वस्तुओं में (उस परम अर्थ के लिए उपस्थित वस्तु को अर्थ कहते हैं), अभिज्ञः – जानने वाला है (साक्षी जीवात्मा के रूप में उपस्थित या परम कर्ता है), च – और, स्वराट् - परम स्वतंत्र है, इ – अचरज की बात यह है कि, तेन – उसके द्वारा, हृदा – संकल्प से ही, आदिकवये – आदिकवि ब्रह्माजी के लिए वेदज्ञान दिया गया है, यत्सूरयः –जिसके विषय में (उस परम ज्ञान या भगवद्लीला के बारे में) बड़े-बड़े विद्वान भी, मुह्यन्ति – मोहित हो जाते हैं । यथा –जैसे, त...

कलिसंतरण उपनिषद - हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।

यद्दिव्यनाम स्मरतां संसारो गोष्पदायते । सा नव्यभक्तिर्भवति तद्रामपदमाश्रये ।।1।। जिसके स्मरण से यह संसार गोपद के समान अवस्था को प्राप्त हो जाता है, वह ही नव्य (सदा नूतन रहने वाली) भक्ति है, जो भगवान श्रीराम के पद में आश्रय प्रदान करती है ।।1।। The ever-young Bhakti (devotion) by the grace of which this world becomes like the hoof of a cow, provides refuge in the feet of Lord Shri Ram. ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।। ॐ हम दोनों साथ में उनके (परमात्मा के) द्वारा रक्षित हों । दोनों साथ में ही आनंद की प्राप्ति (भोग) करें । दोनों साथ में ही अपने वीर्य (सामर्थ्य) का वर्धन करें । (शास्त्रों का) का अध्ययन करके तेजस्वी बनें । आपस में द्वेष का भाव न रखें । Oum. Let both of us be protected by Him together. Both of us attain the eternal bliss (ojectives) together. Both of us increase the spunk together. Both of us become enlightened after studying the different Shastras (the noble verses). Both of us...