लगन तुमसे लगा बैठे, जो होगा देखा जाएगा ।
तुझे अपना बना बैठे, जो होगा देखा जाएगा ।।
कभी दुनिया के
डर से हम, छिप-छिप याद करते थे ।
डर से हम, छिप-छिप याद करते थे ।
अब परदा उठा
बैठे, जो होगा...
बैठे, जो होगा...
कभी बेताब की दुनिया, हमें परेशान करती थी ।
हमें
बर्बाद करती थी ।
बर्बाद करती थी ।
शर्म अब सब खो बैठे, जो होगा...
दीवाने बन के
बैठे हैं, तो फिर दुनिया से क्या मतलब ।
बैठे हैं, तो फिर दुनिया से क्या मतलब ।
तो तब से दिल
लगा बैठे, जो होगा...
लगा बैठे, जो होगा...
मैं सर्वस दे भी सकती हूँ, तुम्हारे इक इशारे पर ।
कहीं दिल टूट न जाए, जो
होगा...
होगा...
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