ॐ चक्रवर्त्ति सम्राट महाराजाधिराज दशरथ के जीवन-चरित्र की विशेषतायें दशरथ – दशयुक्तः रथो यस्य – दशरथः । जिसके रथ में दशेन्द्रियरूपी घोड़े रहते हैं, वह दशरथ है । जीव ही दशरथ है । ‘ आत्मानं रथिनं विद्धि शरीरं रथमेव तु । बुद्धिं तु सारथिं विद्धि मनः प्रग्रहमेव च ।। इन्द्रियाणि हयानाहुर्विषयांस्तेषु गोचरान् । ’ (कठोपनिषद-3/3-4) पञ्च कर्मेन्द्रिय, पञ्च ज्ञानेन्द्रिय ही जीव दशरथ के शरीररूपी रथ के घोड़े हैं । बुद्धि सारथी है और मन ही लगाम है । बुद्धि की तीन वृत्तियां होती हैं – सात्त्विक, राजसिक और तामसिक । दशरथजी की भी तीन पत्नियां हैं – कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी । कौशल्या जी सात्त्विकी बुद्धि, सुमित्रा जी राजसिक बुद्धि और कैकेयी जी तामसिक बुद्धि । ‘ विज्ञानसारथिर्यस्तु मनःप्रग्रहवान्नरः । सोऽध्वनः पारमाप्नोति तद्विष्णोः परमं पदम् ’ ।। (कठोपनिषद-3/9) रथ का रथी जीवात्मा यदि सात्त्विकी बुद्धि (विज्ञान) रूपी सारथी से युक्त और कुशल है, तभी वह रथ को हृदयस्थल तक ले जाता है और रथी कृतकृत्य हो जाता है । तब वह उस परम पद की प्राप्ति कर लेता है । महाराज दशरथ ने जन्मोत्सव के समय अपने साथ-स...